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सोमवार, 8 अगस्त 2011

जानेवालों से - निदा फाजली

जानेवालों से राब्ता* रखना
दोस्तों, रस्मे-फातहा रखना

जब किसी से कोई गिला रखना
सामने अपने आइना रखना

घर की तामीर* चाहे जैसी हो
इसमें रोने की कुछ जगह रखना

जिस्म में फैलने लगा है शहर
अपनी तन्हाईयाँ बचा  रखना

मस्जिदें हैं नमाज़ियों के लिए
अपने दिल में कहीं खुदा रखना

मिलना-जुलना जहाँ ज़रूरी हो
मिलने-जुलने का हौसला रखना

उम्र करने को है पचास को पार
कौन है किस जगह पता रखना



*१. सम्बन्ध
*२. निर्माण




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