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बुधवार, 27 अक्तूबर 2010

स्त्री

स्त्री पदबंध का जो रूप आज हमारे सामने है,वह पुरूष वर्चस्व की विरासत है. एक स्त्री कैसे सोचती है,किस तरह उसे अभिव्यक्ति देती है या किस तरह का उसका रहन सहन होना चाहिए, इन सब पर भी उसी वर्चस्व का नियंत्रण है.इस तरह एक सांचे में ढली स्त्री हमारे सामने आती है..जीव-विज्ञान की दृष्टी से भले ही वह कुपोषण का शिकार हो,परन्तु उसके कोमल मस्तिष्क में यह बात कहीं गहरे तक जज्ब कर दी गयी है की अगर उसे attention पाना है तो zero figure में ही रहना होगा.

सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

▬▬▬▬❤❍▬❍▬❍▬❍sapna▬❍❤▬▬▬▬▬THANK YOU VERY MUCH PICASA TEAMI AM SO HAPPY !!!!! ▬▬▬▬❤❍▬❍▬❍▬❍▬❍▬❍▬❍▬❍▬❍▬❍▬❍▬❍❤▬▬▬▬▬

सपना

चाँद को देखा मैंने
एक  अधूरा सपना
जिनके रेशे तार-तार होकर
निस्सीमता के आकाश में
बिखरते  जा रहे हैं.

 नदी की धार
सुनहरे गुलाबों की पंक्तियाँ 
निःशब्द धूप-छाहीं की आगोश में 
जैसे रीस रही थीं.  

 



गुरुवार, 21 अक्तूबर 2010

saara aakash: कश्मीर में शांति कब लौटेगी ?

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saara aakash: साहित्य पर मुक्तिबोध

saara aakash: साहित्य पर मुक्तिबोध: "भारतीय मन की अपनी कुछ विशेषताएं हैं. वह साहित्य को अपने आत्मीय परमप्रिय मित्र की भांति देखना चाहता है,जो रास्ते चलते उससे बात कर सके , सल..."

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