कभी शब्द और अर्थ पास होकर भी किसी अनजाने क्षितिज की ओर खुलने लगते हैं ...क्या है ये ! इस इंद्रजाल की सोंधी सी महक में हलके बहुत थोड़े से भींगे पत्तों की छुअन डाल से अभी-अभी टपके फूल की लजाई मुस्कान और रात के अन्धकार में डूबते अंतिम तारे ये सब और बहुत और भी कुछ हमसे लिपटता जाता है...कैप्शन जोड़ें |
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